कवि सतीश लखोटिया जी द्वारा रचना “गीत गाऊँ कैसे”

गीत गाऊँ कैसे

गीतों को मधुर स्वरों में
गाऊँ कैसे
तुम नही हो मेरे पास
खुशी के गीत गाऊँ कैसे

कंठ से नही निकल रहे स्वर
सुर और ताल में
सोचता हूँ जब भी मैं गाने की
तुम आ ही जाती हो
आँखों के सामने 

वश में नहीं दिल मेरा
आ रही मुझे तुम्हारी याद
अब न तड़पाओ जालीम 
न भूला मैं
वह प्रथम मिलन की बात

कहते जब अपने मेरे
गाओ गीत मिलन के तुम
न जाने क्यों
कंठ से निकल जाती
फिर विरह ही की बात

नयन मेरे तरस रहे
तुम्हें निहारने को
लंबा अरसा बित गया
खुशी के गीत गाने को

सुन लो तुम
मेरे दिल की पुकार
लौट आओ प्रिये
मेरे पास
फिर शुरू करेंगे हम
नये गीत के साथ
नवजीवन की शुरुआत

सतीश लाखोटिया
नागपुर, महाराष्ट्र

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