कवियत्री रवि बाला जी द्वारा 'गांधीजी अहिंसा और प्रेम' विषय पर लेख

बदलाव राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय मंच
दिनाँक-04-10-2020
दिन-रविवार
विषय-गांधीजी अहिंसा और प्रेम।

पिता करम  है माता पुतली,
मोहन  पुत्र  थे  अति दुलारे।
सत्य अहिंसा के बल जिसनें,
भारत  माँ के  भाग्य  सँवारे।

        2 अक्टूबर सन 1869 का पावन दिवस हम सब भारतीयों के लिए एक स्वर्णिम दिवस था। इस दिन माँ भारती के धरती पर एक ऐसे  महान आत्मा का जन्म हुआ, जिनका हृदय दया, करूणा, स्नेह, सत्य, अहिंसा और देश प्रेम से भरा हुआ था। बाल्यकाल से ही माता-पिता के संस्कारों का उन पर अमिट छाप पड़ा और युवावस्था के आते तक जिनमें महान विचारों का स्तम्भ खड़ा हो चुका था, वे थे हमारे भारत के राष्ट्रपिता महात्मागांधी।
          कानून की शिक्षा प्राप्त करने तीन वर्ष के लिए लंदन गए थे, परंतु प्रवासी भारतीयों की दशा, उन पर हो रहे अत्याचारों को देखकर उनका दिल दहल उठा। उनपर हो रहे अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए वे 21वर्ष तक द.अफ्रीका में रहे, और कड़ी संघर्ष किए कई बार जेल गए। स्वदेश लौटने पर भारत को अंग्रेजों के गुलामी से मुक्ति दिलाने कठोरतम संघर्ष करते रहे। कई आंदोलन किए,कई बार सश्रम कारावास की सजा पूर्ण किए और अपने लक्ष्य से कभी विचलित नहीं हुए इस प्रकार से भारत को आजादी दिलाने में गांधी जी सफल हुए।
           स्वतंत्र भारत का सुख वे अधिक, समय तक न भोग सके कुछ ही महीनों पश्चात 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा उनकी हत्या कर दी गयी और भारत का चमकता तारा सदा के लिए अस्त हो गया।

      रविबाला ठाकुर
स./लोहारा,कबीरधाम,छ.ग.

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