कवि रमेश चन्द्र भाट जी द्वारा 'नारी शक्ति' विषय पर रचना

बदलाव साहित्य मंच (राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय)
प्रतियोगिता 18 से 24 अक्टूबर' 20
विषय - नारी शक्ति और नवरात्र

शीर्षक- देवीय रूप प्रभु के

स्वरचित रचना
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    सब गुण कर्म स्वभाव में, प्रकटे प्रभु स्वरूप।
   माता   लक्ष्मी   शारदा, शक्ति  सरस्वती रूप।।
अपना खून पसीना देकर, माता ने ज्यों जनम दिया है।
समरथशाली बच्चों को कर, संतति का उत्कर्ष किया है।
ईश्वर ने  संसार रचा  है, कर्म अनुसार भोग दिया है।
धन धान्य व औषध देकर, जीवों का कल्याण किया है।
      जीवों का मंगल करे, कृपा  करे बहुरूप।
      दयावान  परमेश  ने, धरा मात का रूप।।

सब विद्या का बोध करावे, गुरू बनकर के ज्ञान बढावे।
सत्य धर्म आचार सिखा कर, आचार्य का नाम धरावे।
ज्ञान की गंगा को बहाकर, बुद्धि को जो शुद्ध बनावे।
मानव के कल्याण के लिए, वेदों मे सब ज्ञान करावे।
      देने विद्या दान को, ऋग यजु साम स्वरूप।
       ज्ञान रूप परमेश ने, धरा आचार्य रूप।।

ईश्वर की कल्पित माया से, सारी सृष्टि जो रच सकती।
प्रलय काल में अपने अंदर, योगमाया से स्थिर रखती।
काम क्रोध मद मोह लोभ को, मन से मेरे बाहर करती।
दुर्ध्दष रुद्राणी बनकर वो, दुष्टों का संहार हे करती।
      करने अभयदान को, अनन्त सामर्थ स्वरूप।
      लक्ष धातु से परमेश्वर, धरे  लक्ष्मी का रूप।।

मानव को वाणी  देकर के, सब जीवों से श्रेष्ठ किया है।
देकर सबको कला भावना, अपने को ही प्रकट किया है।
वीणा धारण करके सबसे, ह्रदय को संगीत  दिया है।
सुत रमेश के मनोभाव को, मिठे स्वर से सजा दिया है।
      शब्द अर्थ संबंध का, जिससे समझे ज्ञान।
      सृ गतो धातु से प्रभु, धरे सरस्वती नाम।।

नाम-रमेश चंद्र भाट,
पता-टाईप-4/61-सी,
रावतभाटा, चितौड़गढ़,(राज.)

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