डॉ.रेखा मंडलोई 'गंगा' जी द्वारा 'नारी शक्ति' विषय पर रचना

साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु
नमन बदलाव मंच
  'नारी शक्ति' 
नवरात्रि विशेष पर बदलाव पटल पर स्वरचित कविता प्रस्तुत है ।
नारी शक्ति के विविध स्वरूप पा बन गई तू महान,
तेरी शक्ति का क्यों और कैसे किया जाए यूं बखान।
वात्सल्य, ममता, निश्चलता का मंदिर बन पावन,
धन - लक्ष्मी स्वरूपा बन करती है  घर का संचालन।
अन्नपूर्णा की प्रतिमूर्ति बन बनाती अनेक पकवान,
गृह लक्ष्मी का रूप धर बढ़ाती घर का अभिमान,
मां सरस्वती का आशीर्वाद बनाता बच्चों को ज्ञानवान।
शक्ति रूपा  दुर्गा का पा अवतार पाया जग में सम्मान,
मां चंडी चामुंडा सी घर - परिवार का करती तू पालन।
यशोदा सी वात्सल्य वर्षा से बच्चों पर करती शासन,
तुलसी सा महकाती तू घर - परिवार का आंगन।
गंगा समान पवित्र विचारों से करती घर को पावन,
ज्ञान रूपी धारण किए रहती सदा स्वच्छ परिधान।
जिससे परिवार का नीत - प्रति बढ़ता मान- सम्मान,
ईश्वर प्रदत्त तूने पाया प्रेम रूपी अभय वरदान।
मैं भी नारी तू भी नारी हम ही बढ़ाए हमारा मान,
एकजुट होकर हम करें दुराचारियों का चूर अभिमान। 
हे नारी शक्ति जगा अपनी शक्ति, बना अपनी पहचान,
जिससे अत्याचारी कांपे और दुनिया में बने तू महान।

' जय नारी शक्ति- जय माता रानी बढ़ाओ हमारी शक्ति अपार ऐसी मां के चरणों में विनती है' 
         डॉ. रेखा मंडलोई ' गंगा ' , इंदौर

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