पूजा परमार सिसोदिया जी द्वारा खूबसूरत रचना#

नमन बदलाव मंच

शीर्षक_ आज फिर शरारत करना चाहता है दिल
प्यारा-सा है घर मेरा
घर का है एक आंँगन मेरा ।
बैठते जहांँ घर के सभी
रात तक होती थी बातें बड़ी-बड़ी ।
आज उन बातों को तरसता है दिल
आज उन रातों को तड़पता है दिल ।।
आज मैं ज़िन्दगी से दौड़ लगाती लगाती हूँ
आज में लोगो को रास्ता दिखाती हूँ ।
बचपन में इन कदमों को मिलता था तब सहारा
पापा की उंगली करती थी जब इशारा ।
आज उस रास्ते को तरसता है दिल
आज उस रिश्ते को तड़पता है दिल ।।
मेरे मोहल्ले की वो गली
जहांँ थी सरपट मेरी साइकिल चली ।
मेरे झगड़े, मेरे यार
मेरी पहली गलती, मेरा पहला प्यार ।
आज इस शराफत से ऊबता है दिल
आज फिर शरारत करना चाहता है दिल ।।

पूजा परमार सिसोदिया
आगरा ( उत्तर प्रदेश )
pujaparmar89@gmail.com

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