डॉ सुनील कुमार परीट जी द्वारा बिषय हे जगदम्बे पर खूबसूरत रचना#

बदलाव अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक मंच
साप्ताहिक प्रतियोगिता
शीर्षक :- *हे जगदंबा!* 

उग्र रूप है तेरा माता शेरोवाली
एक हाथ में त्रिशूल एक में तलवार
एक हाथ में है चक्र एक में बाण
पापियों का कर देती है तू सॅंवार ।।

आदि शक्ति दुर्गा शक्ति है तू
जो मांगे वर प्रदान करती है तू
तेरे भक्तों का ख्याल रखती है तू
इस जग की माता जगदंबा है तू ।।

हे माॅं उग्र रूप धारण कर आओ
अपने भक्तों का तारण कर आओ
हे माॅं दुष्टों का संहार कर जाओ
इस भरत भूमि को पवित्र बना जाओ ।।

 *डॉ सुनील कुमार परीट* 
बेलगांव कर्नाटक

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