बदलाव मंच अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय
(18/10/2020 से 24/10/2020 तक साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु मेरा स्वरचित एवं मौलिक रचना)
विधा- कविता
शीर्षक- नारी शक्ति
माँ, बहन, बेटियाँ ,नारी के ही तो रूप है।
नारी तो साक्षात शक्ति का प्रतिरूप है।
नारी चलती मर्यादाओं के अनुरूप है।
इसकी चर्चा तो भारतीय इतिहास में खूब है।
ममता,स्नेह,प्रेम,वात्सल्य की खान होती है ।
सच में तो नारी जग में महान होती है।
नारी तो हर घर की शान होती है।
नारी के बिना घर सुनसान होती है।
नारी कमजोर नहीं कोमल होती है।
नारी मजबूर नहीं मासूम होती है।
नारी शक्ति की होती जहाँ सम्मान है।
वहाँ निवास करते खुद भगवान है।
नारी को कम आँकने की भूल मत करना।
नारी को सदा नर के बराबर कबूल करना।
नारायण प्रसाद
ग्राम-आगेसरा(अरकार)
जिला-दुर्ग छत्तीसगढ़
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