मंच को नमन
दिनांक- 13 अक्टूबर 2020
विषय- परिवेश
विधा - मुक्तक
सबसे प्यारा मेरा देश
स्वच्छ रखें हम परिवेश
मैं सच का राही हूं
नहीं किसी रखता द्वेष
सबको देता हूं संदेश
स्वच्छ रखना परिवेश
दुश्मन थर- थर कांपते हैं
जब धारण करता अग्निवेश
मैं गुनता हूं उपदेश
नहीं पालता हृदय क्लेश
रखना पूर्वजों की थाती
जो बची रह गई अवशेष
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मैं घोषणा करता हूं कि यह मुक्तक मौलिक स्वरचित है।
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