कवि भास्कर सिंह माणिक ‘कोंच' जी द्वारा रचना (मुक्तक)

मंच को नमन
दिनांक- 13 अक्टूबर 2020
विषय- परिवेश
विधा - मुक्तक

सबसे  प्यारा  मेरा देश
स्वच्छ रखें हम परिवेश
मैं   सच   का  राही  हूं
नहीं किसी रखता द्वेष

सबको    देता    हूं    संदेश
स्वच्छ     रखना     परिवेश
दुश्मन   थर- थर  कांपते हैं
जब धारण करता अग्निवेश

मैं     गुनता    हूं    उपदेश
नहीं  पालता  हृदय  क्लेश
रखना  पूर्वजों   की  थाती
जो  बची  रह गई अवशेष
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मैं घोषणा करता हूं कि यह मुक्तक मौलिक स्वरचित है।
         भास्कर सिंह माणिक,कोंच

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