सम्माननीय मंच को प्रणाम...
बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता (अक्टूबर 2020)
विषय- ए. पी. जे.अब्दुल कलाम
कलाम नहीं
प्रेम की कलम थी।
हिन्दुस्तानी
दिलों पर चली थी।।
अमिट-सी स्याही थी।
राष्ट्र प्रेम से बनी थी।
न मिटी ना मिटाई थी।
रचना हिन्दुस्तानी थी।।
रची और रचाई थी।
देशभक्त छंदों से
बनी थी।।
हर देश भक्त ने पढी थी।
याद की नहीं
याद हो गई थी।।
राष्ट्रप्रेमी दिलों में
छप गई थी।
न हिन्दू न मुस्लिम थी।।
देश भक्ति की मशाल थी।
कलाम नहीं
प्रेम की कलम थी।।
मौलिक रचना
सुखदेव टैलर, निम्बी जोधाँ
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