कवि भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा रचना “शिक्षा"

मंच को नमन
विषय -शिक्षा
दिनांक -12-10-2020

तम का करती है ग्रास
जीवन में करती है विकास
अंतस में करती है प्रकाश
बाधाएं तोड़ने की
सिखाती है कला शिक्षा

हर मुश्किल का हल
रोकती बवंडर प्रबल
बनाती है सबल
जलाती उन्नति का दीप
विपरीत हवाओं से लड़ना सिखाती है शिक्षा

देश -विदेश
लोक- परलोक
स्वर्ग -नर्क
धर्म -अधर्म
आदि का ज्ञान कराती
शूल में मुस्कुराना
सिखाती है शिक्षा

मान- अपमान
सुकर्म -कुकर्म
नैतिकता- अनैतिकता
उन्नति -अवनति
सुपथ का अर्थ
समझाती है शिक्षा

बंजर को उपजाऊ
मूढ़ को विद्वान
बनाना सिखाती है 
निष्ठा समर्पण 
परमार्थ का भाव
हृदय में जगाती
विपत्ति में
धैर्य का पाठ पढ़ाती है शिक्षा

निर्बल को, असहाय को
निर्धन को , अपंग को
नर को, नारी को
कुरूप को
सम्मान दिलाती है शिक्षा
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
              भास्कर सिंह माणिक, कोंच

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