कवि एम. "मीमांसा" जी द्वारा रचना

सिसक कर रोज रोता है, सुबह अखबार यूपी में
दरिंदे   भेड़ियो   से   है,  भरा    बाजार   यूपी में
खबर सुन रेप का ऐसा, दहल जाता हमारा दिल
न  जाने  चूक  करती  है, कहाँ  सरकार  यूपी में

                       एम. "मीमांसा"

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