कवि एम. "मीमांसा" जी द्वारा रचना

मनुजता छोड़ पशुता की, बढ़ी रफ़्तार यूपी में
मनुज के  वेश में रहते, दनुज  खूंखार  यूपी में
ज़रा सोचो  यहाँ  कैसे, रहेंगी  बेटियां  सबकी
हदें  हैवानियत  की जब, करें नर  पार यूपी में

                        एम. "मीमांसा"

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