कवयित्री माधवी गणवीर " वर्चस्वी " जी द्वारा रचना (बिषय- महात्मा गांधी)

नमन मंच 
*बदलाव  अंतरराष्ट्रीय राष्ट्रीय मंच*
प्रतियोगिता हेतु
विषय - महात्मा गांधी

जन्म लिए पोरबंदर में, मोहनदास नाम कहलाए,
 पिता करमचंद गांधी, माता पुतलीबाई के दुलारे कहलाए।

मांस मदिरा के सख्त विरोधी, पशुधन को अपनाएं,
 ऊंच-नीच का भेद मिटाकर, अहिंसा परमो धर्म सिखाएं।

साबरमती के संत,चरखा और खादी थे जिनके अस्त्र,
सत्याग्रह, दांडी यात्रा, असहयोग आंदोलन जिनके थे शस्त्र।

स्वदेशी अपनाएं, चरखा चलाएं, बने वह राष्ट्रपिता,
 छोटे कद के, सरल व्यक्ति, जो देश के लिए ही था जीता।

ब्रिटिश सरकार की जड़े हिलाकर, आंदोलन फिर सत्याग्रह किया,
 साबरमती से दांडी यात्रा कर, नमक कानून तोड़ने का प्रण लिया।

न लाठी, न ढाल,  दिलाई आजादी और मातृभूमि को दी पहचान, भारत छोड़ो आंदोलन चलाकर, तिरंगा लहराया बड़ी शान 

स्वच्छ भारत,सुंदर भारत, ने दी नयी पहचान हमें,
 ऐनक, धोती, चरखा, खादी स्वदेशी का मिला सम्मान हमें।

सादा जीवन,उच्च विचार,रघुपति राघव गाते थे,
 गांधीजी के तीन बंदर, हमें नेक राह बताते थे।

राम नाम की धुन लगी, सेवा पथ पर चलकर राष्ट्रप्रेम पाया, कर्मयोगी,जन योगी,  जन-जन का स्नेह उनमें था समाया।

माधवी गणवीर " वर्चस्वी "
सम्मानित राष्ट्रपति पुरुस्कृत
छत्तीसगढ़

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