कवयित्री स्मिता पाल जी द्वारा रचना “महादुर्गा"

मांँ शारदे को स्मरण करते हुए बदलाव मंच को नमन 
सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं। मातारानी सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करें

*महादुर्गा*

ब्रह्माण्ड की मैं जननी,
महाकाल की अर्धांगिनी,
दिव्य-ज्योत पुंज हूंँ मैं
त्रिशूल धारी मैं रूद्राणी।

मैं अम्बे दुःख हरनी,
हर कष्ट की निवारिणी,
हर कलेश की विनाशिनी,
कैलाश की गृहस्वामिनी।

महिषासुर वध करती मैं,
मैं हूं महिषासुरमर्दिनी।
दुर्गम को दूर करने वाली,
नवदुर्गा की हूंँ रूप धरी।

हर भक्त की शक्ति हूं मैं,
असुरो की मैं संहारिनी।
मनचाहा वर देने वाली,
मैं हूं अष्ट भवानी।।
    
        *- स्मिता पाल (साईं स्मिता), झारखंड*

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