कवयित्री मीनू मीनल जी द्वारा 'जय माँ शैलपुत्री' विषय पर रचना

नवरात्रि की  हार्दिक बधाई और शुभकामनाएंँ

जय माँ शैलपुत्री

मांँ !स्वीकार करो अब तुम।

 दुखों की गठरी  ढो़कर आई मांँ मैं
   तेरे द्वारे 
अब तो सुध लो मेरी माते, कृपा करो
   वारे -न्यारे
 भरी-भरी आंँखें हैं मेरी, जग सारा है
   धुंँधलाया
 किसको थामूँ, किसको छोड़ूंँ, समझ
    नहीं  अबतक आया

 सरल -सलोने सूरत सबकी, अंदर
   सारा सँपेला है
 डसते रहते पलछिन बाहर ,हंसा उड़े
    अकेला है

 एक ही राह के पथिक हैं सारे ,करते
   खूब तमाशा है
 उदासी मन में आस भरो, जीवन
    फिर तो बताशा है

 रास्ते सारे अलग हुए ,संग छूटे हैं
    संगी -साथी 
सब के सब रह जाते यहीं ,महल
   -दुमहले ,घोड़े- हाथी

 बेमतलब के रिश्ते -नाते, जिंदगी
   बीती चुप -चुपाते
 हाय -तौबा, दौड़ा -धूपी, संभालते
   रह गए बट्टे -खाते

  सिर -माथे पर  हुकुम है तेरा ,द्वारे
    खड़ी हूँ मैं गुमसुम
 कुंकुम -कुसुम ,अश्रु भर लाई, माँ !स्वीकार करो अब तुम।

मीनू मीनल


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