शिवशंकर लोध राजपूत जी द्वारा खूबसूरत रचना#

बदलाव मंच राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय 
मंच को नमन 
साप्ताहिक प्रतियोगिता 
विषय :नारी शक्ति 
दिनांक :21/10/2020
*नारी शक्ति*

मै नारी शक्ति हूँ 
मुझको पहचान हे मानव 
मै ही सती सावित्री हूँ 
जो सत्यवान के प्राणों के लिए 
मृत्यु के देवता यमराज से लड़ी थी 
मै ही सती अनसुइया हूँ जिसने 
ब्रह्मा, विष्णु, महेश को बालक 
रूप देकर नग्न अवस्था मे 
अपना स्तनपान कराया 
मै नारी शक्ति हूँ 
मै ही अयोध्या राजा दशरथ की पत्नी थी 
युद्ध क्षेेेेत्र मे साथ थी अर्धांगिनी बनकर  
लड़ाते हुए रथ के पहिये का धुरा 
निकल गया तब मैंने धूरे की जगह
अपनी उँगली लगाई और जीती लड़ाई 
तब राजा ने तीन वचन दिये खुश होकर 
मै नारी शक्ति हूँ 
तुम नारी शक्ति हो नर की 
नर बिन तुम शक्ति विहीन 
नारी शोभा है घर की 
इनको सम्मान मिले 
बेटी, बहू, मां बनकर 
दुख सुख सब सहकर
अपना बखूबी सभी फर्ज है निभाती
तभी तो नारी शक्ति कहलाती
तुम प्रेम स्नेह मातृत्व का आधार स्तंभ हो 
गृहस्थ जीवन को जिसने संवारा 
वह मां,  बहन, बेटी, पत्नी हो तुम
तुम में ही कोई सीता,काली, लक्ष्मी, 
कल्पना चावला,रानी लक्ष्मी बाई,
सानिया मिर्जा आदि नारी हो 
अपनी शक्ति को पहचानो
और दुष्टों का संहार करो
तुम नारी शक्ति हो
क्यों भूल जाती हो
हे नारी तुम अपनी शक्ति को
अब तुम अबला नहीं सबला नारी हो
तुमने हर क्षेत्र में अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया
चाहे चांद पर चाहे क्रीड़ा जगत मे 
या फिर प्रधानमंत्री या अफसर बनकर
हर क्षेत्र में अग्रणी हो तुम
तुम ही नारी शक्ति हो
आज गृहस्थ के साथ-साथ 
समाजसेवा भी करती हो 
तुम नारी शक्ति हो
तुम्हारी सोचने की शक्ति क्षीण हो गई 
शक्तियाँ जगाने का नवरात्रि में है समय
तुम ही नवदुर्गा शक्ति हो 
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी,चंद्रघंटा,
कूष्मांडा,स्कंदमाता, कात्यायनी, 
कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री
तुम नारी ज्वाला बन कर
अत्याचारी और दुराचारियों  का विनाश करो
तुम नारियों मे सर्व शक्ति विद्यमान है

शिवशंकर लोध राजपूत 
(दिल्ली)

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