कवयित्री डॉ. अलका पाण्डेय जी द्वारा रचना “अपमान"

अपमान 

रोज़ रोज़ हो रहा नारी का अपमान !
भाषणों में ही नारी को देते हैं सम्मान !!
हाथरस की कन्या लूट गई सरे बाज़ार !
आख़िर कब तक चलता रहेगा बहन बेटी का अपमान!!

क़ानून हो गया अंधा सरकारें बहरी !
घूम रहे सरे आम दरिंदे चाल है इनकी गहरी !!
बलात्कारीयों को सजाए मौत देना होगा !
न्याय देना होगा , सुनो ओ क़ानून के प्रहरी !!

हाथरस की निर्भया अब अकेली नहीं है !
देश की नारियाँ आज साथ खड़ी रो रही है !!
अब और नहीं बस और नही दरिंदों को फाँसी होगी !
तब जाकर न्याय मिलेगा हर निर्भया को !!

डॉ.अलका पाण्डेय मुम्बई
मौलिक

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