*"राष्ट्रीय - अंतरराष्ट्रीय बदलाव मंच"*नमन
*सप्ताहिक प्रतियोगिता-*
नवरात्रा और नारी शक्ति
*शीर्षक -* नारी शक्ति स्वरुपा
*दिनांक -* 23/10/2020
हम हिंद देश की वो बेटी हैं,हम भारत की नारी ।
पति के दामन पर कोई दाग लगा नहीं पाए भारी।
सांसारिक सुखो को त्यागा और लिया गर्भ में प्रेम निशानी।
हर मुश्किल से रिश्ता जोड़ा और बनी हित बलिदानी।
हम हिंद देश की वो बेटी हैं, हम भारत की नारी ।
ज्ञान की महामूरत बन वसुंधरा का स्वाभिमान बनी।
पत्नी ने पति प्रेम त्याग कर,ज्ञान पुंज बन चमकती रही।
खामोशी से सारा विरह जीवन को स्वीकार किया।
लेकिन बदले मैं अपने लिए कोई सुख नहीं लिया।
हम हिंद देश की वो बेटी हैं, हम भारत की नारी ।
बात आत्मसम्मान की आई तो तप शक्ति का प्रहार किया।
सृष्टि के पालनहार विष्णु को पत्थर की मूरत बना दिया।
डगमगाने लगी धरती तो
खुद को भस्म कर विष्णु को क्षमा दान दिया।
हम हिंद देश की वो बेटी हैं, हम भारत की नारी।
कुल दीपक जलता रहे,माँ का गोद भरी रहे,
सुहाग की बिंदिया सदा चमकती रहे,
निष्प्राण हुए पति के प्राण वापस लिया।
सवालों के बाण से रुद्र को भी पराजित किया।
हम हिंद देश की वो बेटी हैं, हम भारत की नारी ।
अपने कर्म पथ से कहीं भटक न जाए,
प्रेयसी मोह में कर्तव्य नहीं बिसराए।
भ्राता की सेवा में चौदह वर्ष बिता् दिए।
विरह वेदना झेल कर,कांटों में फूल खिला दिए।
हम हिंद देश की वो बेटी हैं, हम भारत की नारी ।
एक ऐसी भी महान नायिका महारानी हुई,
स्वामी मेरे खो ना दें युद्धभूमि में कहीं अपनी एकाग्रता,
ये विचार कर रानी ने अपने ही भाल से,
थाल सजाकर उपहार स्वरूप भेंट किया।
हम हिंद देश की वो बेटी हैं,हम भारत की नारी।
ऐसी भी एक महारानी थी,राष्ट्र की रक्षा में रणक्षेत्र चली ।
पृष्ठभाग पर पुत्र को बाँध कर, ख़ुद की परवाह नहीं की।
हाथ में लिए तलवार दुश्मन के छक्के छुड़ा दिये।
अपना जान धरती मां की आन- बान पर लुटा दिए।
हम हिंद देश की वो बेटी हैं, हम भारत की नारी ।
दर्द जमाने का सह कर भी
पर्वत को फतह कर स्वर्णिम इतिहास रचा दिया।
मजबूर नहीं, लाचार नहीं, ना ही हम अबला बेचारी हैं यह साबित कर दिखा दिया।
हम हिंद देश की वो बेटी हैं, हम भारत की नारी ।
** एकता कुमारी, बिहार। **
0 टिप्पणियाँ