तौहीन ना हो..
कुछ भी हो कर्म की तौहीन ना हो
बात-अर्थ हो मर्म की तौहीन ना हो
बेवजय कड़ा हो ऐसा शौकीन ना हो
व्यवहार से रिश्तों की तौहीन ना हो
जीने में स्वाद हो,ज्यादा नमकीन ना हो
गुजरती इन साँसों की तौहीन ना हो
तेज़ हो नज़र मगर शाहीन' ना हो (गरुड़ )
कभी उसके हुनर की तौहीन ना हो
कोई अजनबी मेरे दिल में आसीन ना हो
मेरे जज़्बात की कभी तौहीन ना हो
"उड़ता"मखमल नहीं ज़िन्दगी,शनीन ना हो
तेरी कल्पना जैसी कोई नाज़नीन ना हो
स्वरचित मौलिक रचना
द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता"
झज्जर - 124103 (हरियाणा )
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