कैलाश सराफ "कैलाश"जी द्वारा बेहतरीन रचना#

मंच को नमन
राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय बदलाव मंच
साप्ताहिक प्रतियोगिता
दिनांक-24/10/2020
विधा-कविता
विषय-"नारी शक्ती"
शीर्षक-"कमजोर नहीं"
चिंकारा, विकराल गर्जना ये वक्त की ललकार है
कोमल है कमजोर नहीं।।
आज  शक्ति तू का अवतार है।।
जो आसमां और जमीं भी सिहर उठे
वो बल तुझ में अपार है
कोमल है कमजोर नहीं 
आज शक्ति का तू अवतार है।।
पापी अधर्मी हर मोड़ पर मिलेंगे
अपने पाप कर्मो का घड़ा,, स्वयं अपने हाथ से भरेंगे 
तू उठा अब खड़ग अपना, जो तेरे शस्त्रों में में शुमार है, करना तुझको पापियों का संहार है।।
 कोमल है कमजोर नहीं आज  शक्ति तू का अवतार है।।
जो चंडी बन चिंकारी तो घबरा गया वो तेरे साथ का तूफान है
जो वज्र धारण किया तो
 विनाश का भूचाल है
है गजब का शौर्य तुझ में नव चेतना का भंडार है!
कोमल है कमजोर नहीं आज  शक्ति का तू अवतार है।।
है अलौकिक सौंदर्य की मूरत तू, स्नेह ही तेरा उपवन है
किरणों का तेज इन नैनो में समाया
नित नई प्रतिभा का तू पावन दर्पण है
तेरा रूप ही उस सृजन हार का श्रृंगार है
कोमल है कमजोर नहीं आज शक्ति का तू अवतार है।।।
धन्यवाद!!
कैलाश सराफ "कैलाश"
पुणे महाराष्ट्र

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