भास्कर सिंह माणिक,कोंच जी द्वारा खूबसूरत रचना#

मंच को नमन

        मांँ कालरात्रि
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काल कांपता थर थर जिसका
 सुनकर नाम ।
सारी दुनियां करती है मांँ तुम्हें
 प्रणाम ।।

ध्वज लेकर चलते हैं 
आगे बजरंगबली
पीछे पीछे चलते हैं 
भैरव महाबली
जय जय जय मां कालरात्रि 
खप्पर वाली
प्राण की भीख मांगे तुमसे
 बड़े-बड़े बली

ऋषि मुनि ज्ञानी नित जपते 
मांँ तेरा नाम ।
सारी दुनिया करती है मां तुम्हें प्रणाम ।।

खड्ग त्रिशूल खप्पर 
जय मां मुंडमाल  धारी
तुमसे अत्याचारी 
असुर की सेना हारी
सूर्य चंद्र नित करते 
मांँ तेरा ही वंदन
भूमंडल हुआ कंपित 
जब मांँ तूं ललकारी

प्रकृति का कण-कण भजता
मांँ तेरा ही नाम ।
सारी दुनियां करती है 
मांँ तुम्हें प्रणाम।।

मांँ तुम दया की देवी
प्रेम की गागर हो
तुम सा कोई न दूजा
ममता की सागर हो
मांँ कृपा दृष्टि कर दो 
आतंक मिटे धरा से
अनंत रूप तुम्हारे मां
स्वंय उजागर हो

बसते हैं मांँ तेरे चरण में 
 चारों धाम।
सारी दुनियां करती है
मांँ तुझे प्रणाम ।।

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मैं घोषणा करता हूंँ कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
      भास्कर सिंह माणिक,कोंच

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