सादर समीक्षार्थ
विषय - आँचल की ताकत
विधा - आज़ाद नज़्म
ऐ माँ! तेरे कारण ही जिंदा हूँ मैं
तेरे आँचल की छाँव में पला हूँ मैं
कितना सुकून है आँचल की छाँव में
तेरे आँचल की ताकत जानता हूँ मैं ..।।
ऊँगली पकड़ के चलना सिखाया तूने
बातें सभी से करना सिखाया तूने
मेरी जरूरतों को पूरा किया है
नादाँ से मुझे इंसान बनाया तूने..।।
मेरी आँखो को पढ़ लेती थी तू
मेरी जरूरतें पूरी कर देती थी तू
अब तक याद हैं मुझे तेरी बातें
आँचल में तेरे गुजारी सारी रातें ..।।
महफूज रहता था आँचल में तेरे
गम भूल जाता था आँचल में तेरे
कितना खुशनसीब था तब मैं
आँचल की ताकत अब समझा मैं..।।
डॉ.राजेश कुमार जैन
श्रीनगर गढ़वाल
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