बृंदावन राय सरल सागर एमपी
मनोरम छंद,,,,,प्रेम,,
प्रेम करके,, आप सबको।।
जीत लेंगे ,,आप जग को।।
जोर पर तुम,, तीर ,बम, के।।
जान ही बस,, ले सकोगे।।
प्रेम बांटो,, प्रेम पाओ।।
आदमी को,, जीत जाओ।।
प्रेम जग में,, मंत्र ऐसा।।
बाग़ में है,, फूल जैसा।।
प्रेम जीवन, श्रेष्ठ करता।।
प्रेम से ही, द्वेष मिटता।।
प्रेम करिए,, आप सबको।।
जीत लेंगे,, आप जग को।।
बृंदावन राय सरल सागर एमपी
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