कवि डॉ.विजय लक्ष्मी जी द्वारा रचना “खादी”

*"खादी"* 

सादा जीवन उच्च विचार,
गॉंधी जी ने अपनाये थे,
उन्होंने हाथों में सूत लिए,
चरखा स्वयं चलाये थे,

सबको खादी निर्माण से जोड़,
रोज़गार खूब दिलवाये थे,
आत्मनिर्भर और स्वाबलम्बी,
वे जन-जन को बनाये थे,

स्वदेशी अपनाओ, विदेशी भगाओ,
नीति गाँधी जी जन-जन में फैलाये थे,
"राष्ट्र के लिए खादी,फैशन के लिए खादी,"
माननीय मोदी जी यह बात बताये थे,

खादी केवल वस्त्र ही नहीं,
भारतीयता का प्रतीक है खादी,
खादी पहनो खादी पहनाओ,
खरीदो स्वदेशी सामान ही,
देश को अपने आत्मनिर्भर बनाओ,

डाॅ०विजय लक्ष्मी
काठगोदाम, उत्तराखण्ड

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