बदला है कुछ
वक़्त के साथ बदला है कुछ
रक़्त के साथ बदला है कुछ
सुना था मौसम बदलते हैं
सावन नासाज़ बदला है कुछ
मुश्किलों के दौर में ज़िंदा हूँ
कहो कब हालात बदला है कुछ
कितना जोर पड़ता है सीने पे
धड़कन का राग बदला है कुछ
अंधेरों की आदत हो गयी मुझे
कब कहाँ चराग बदला है कुछ
घुट-घुट कर जिए बेसबब "उड़ता"
नहीं लिखने से कभी बदला है कुछ.
स्वरचित मौलिक रचना
द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता"
झज्जर - 124103 (हरियाणा )
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