मंच को नमन
विषय -कर्तव्य
दिनांक -5 अक्टूबर 2020
विधा -मुक्तक
जो पालन करते हैं अपने कर्तव्य का यहां
जो नजर रखते हैं अपने गंतव्य का यहां
इतिहास करता है गुणगान उसका ही सदा
जो हमेशा रखते ध्यान अपने लक्ष्य का यहां
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प्रकृति हमें सिखाती है कर्तव्य का पालन
गुरु हमें सिखाता है लक्ष्य का पालन
कहलाता है दिव्य पुरुष वही दुनिया में
जो सही ढ़ंग करते हैं गंतव्य का पालन
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मैं पहाड़ में राहे बनाना जानता हूं
रेगिस्तां में फूल खिलाना जानता हूं
मैं डिगता नहीं हूं कभी कर्तव्य से
मैं शूल में भी मुस्कुराना जानता हूं
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मैं घोषणा करता हूं कि यह मुक्तक मौलिक स्वरचित है।
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