सत्य सदा सिरमौर
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सत्य की शक्ति प्रबल जग ,सत्य सदा शिरमौर।
सत्य में हरि वसत सदा,भटक न दूजा ठौर ।।
सत्य शरण जो भी गहे,होता भव से पार ।
देता है अदभुत यही,अग-जग में उजियार।
मन,धन,तप,गुण ज्ञानबल,काहै सुचिअगुआन।
सभी बलों से उपर है,सत बल सदा महान।।
सत्य ज्ञान का सार है ,सत्य सु-हरि का नाम।
सुख- शान्ति कारक सदा ,मारक दोष तमाम।।
क्षमा,दया ,सदभावना,शर्म हया सुचि प्यार।
सत्य समाहित सर्व गुण,सत्य सर्वदा धार।।
सत्य सु-साधे सब सधे,सब साधे सब जाय।
यही उचित है रे मना ,सत्य में रहो समाय ।।
अर्चन,वंदन व सुमिरन ,करुणा प्यार अनुप।
अनुनय,विनय सु-याचना ,सभी सत्य स्वरुप।।
सत्य से बडा़ कुछ नहीं,शक्ति अतुल बेजोड़।
सत्य सु-पथ पर ही सदा,जीवन अपना मोड़।।
अनूठा अनमोल अहा,सत्य सुधा नित पीव।
यही देता संतोष धन ,ललचे कभी न जीव।।
करकुछ ऐसा यशमिले,खिले शुबह सुचि शाम।
सत्य शक्ति से बन सबल,जग "कवि बाबूराम"।।
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बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
गोपालगंज(बिहार)८४१५०८
मो०नं० - ९५७२१०५०३२
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