कवि बाबूराम सिंह जी द्वारा 'सत्य सत्य सिरमौर' विषय पर रचना

          सत्य सदा सिरमौर
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सत्य की शक्ति प्रबल जग ,सत्य सदा शिरमौर।
सत्य  में  हरि  वसत  सदा,भटक न दूजा ठौर ।।
सत्य  शरण  जो  भी  गहे,होता  भव  से  पार ।
देता  है  अदभुत  यही,अग-जग में   उजियार।

मन,धन,तप,गुण ज्ञानबल,काहै सुचिअगुआन।
सभी  बलों  से उपर  है,सत  बल सदा  महान।।
सत्य ज्ञान  का  सार है ,सत्य सु-हरि  का नाम।
सुख- शान्ति कारक  सदा ,मारक दोष  तमाम।।

क्षमा,दया ,सदभावना,शर्म हया सुचि प्यार।
सत्य समाहित  सर्व  गुण,सत्य सर्वदा धार।।
सत्य सु-साधे सब सधे,सब साधे सब जाय।
यही उचित है रे मना ,सत्य  में  रहो समाय ।।

अर्चन,वंदन व सुमिरन ,करुणा प्यार  अनुप।
अनुनय,विनय सु-याचना ,सभी सत्य स्वरुप।।
सत्य से बडा़ कुछ नहीं,शक्ति अतुल  बेजोड़।
सत्य सु-पथ पर ही सदा,जीवन अपना मोड़।।

अनूठा  अनमोल  अहा,सत्य  सुधा नित  पीव।
यही  देता संतोष धन ,ललचे  कभी न जीव।।
करकुछ ऐसा यशमिले,खिले शुबह सुचि शाम।
सत्य शक्ति से बन सबल,जग "कवि बाबूराम"।।

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बाबूराम सिंह कवि 
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर 
गोपालगंज(बिहार)८४१५०८
मो०नं० - ९५७२१०५०३२
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