कवि अजय पटनायक जी द्वारा 'जय जवान जय किसान' विषय पर रचना

*बदलाव अंतराष्ट्रीय मंच को - नमन


रचनाकार- अजय पटनायक
जिला- रायगढ़,छत्तीसगढ़
विषय- जय जवान जय किसान
विधा- रोला छंद

    *जय जवान जय किसान*


जय हो जय जय कार,अन्न के हो तुम दाता।
करते पालनहार, कृषक है भाग्य विधाता।।
सरहद खड़े जवान, हिन्द के मान बचाते।
सोकर बारूद ढेर,नया इतिहास रचाते।।

बंजर जोत किसान,सदा ही मेहनत करते।
बुझा उदर की आग,सभी के दुख को हरते।।
बनते सेना ढाल,नही दुश्मन से डरते।
हमे सुलाकर चैन,मौन से हंसकर मरते।।

उठते कृषक सबेर,फेर खेतों का लेते।
सींच पसीना पेड़,स्नेह अपना है देते।।
मिट्टी से है प्यार,वीर है धरती सोते।
अपने सपने मार,बोझ भारत का ढोते।

होते कृषक महान,कभी  कीमत पहचानो।
करते है उपकार,सभी का ये तुम जानो।।
होते वीर जवान,शैल छाती है मानो।
करना सेवा देश, हिन्द के वासी ठानो।।

वसुंधरा के पूत,मनुज के है रखवाले।
कंकर बोते बीज,नही चुभते है छाले।।
मानव तन भगवान,नही सेना सा दूजा।
करें सभी गुणगान,करें मिलकर के पूजा। 

खेती है अनमोल,दूर ना इससे  भागो।
बनो वीर जवान,काम बेगारी त्यागो।।
शास्त्री जी को नमन,कहें  बस एक ही नारा।
खेती करे किसान,जय हो जवान हमारा।।

       स्वरचित मौलिक रचना
        अजय पटनायक

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