"तुम्हारी याद में"
_____________
हमनें भेजें हैं कई तार, तुम्हारी याद में...
अब होता नहीं इंतजार, तुम्हारी याद में...
एक रूह ही बची थी मेरे पास तेरे बगैर...
उसे भी कर दिया निसार तुम्हारी याद में...
मुद्दतों बाद एक बार फिर इन बगीचों में...
इस मर्तबा आई है बहार तुम्हारी याद में...
तेरे दीदार को तरसती रही ये निगाहें मेरी...
भटकता रहा हूं द्वार-द्वार, तुम्हारी याद में...
मेरे पुराने घर की छत के, एक कोने पर...
उस रोज आ बैठी महार तुम्हारी याद में...
हमने मांगा है खुदा से तुम्हें, हर बखत...
मैं रहा हूँ हर रोज़ नहार तुम्हारी याद में...
हर रोज मंदिरों मस्जिदों में जाकर मैंने...
खुदा से लगाई है गुहार, तुम्हारी याद में...
खुदा भी रोया उस रोज जब तुम रुखसत हुये...
बादलों ने की जमके फुहार, तुम्हारी याद में...
किसको खोजूं मैं इश्क में, इश्क के लिए अब...
मैंने खुदसे ही कर लिया प्यार, तुम्हारी याद में...
ढलती शाम जहां मिलते थे हम दोनों उस गली में...
मैं फिर से निकला हूँ एक बार, तुम्हारी याद में...
मैं सोया नहीं हर रोज, तन्हाई ही बस साथ रही...
दिल सिसक कर रोया रातें हजार, तुम्हारी याद में...
"लेफ्टिनेंट पुष्कर शुक्ला"
(बिसवां-सीतापुर, उ.प्र.)
0 टिप्पणियाँ