कवयित्री रेहाना परवीन जी द्वारा रचना “अवतार"

*अवुल पकिर जैनुल* *आब्दीन अब्दुल कलाम*       

 *बदलाव मंच*       
दिनांक 12/10/2020
         
         *अवतार* 

जाति जाति धर्म,
 न परिवार देखा था।

अब्दुल कलाम ने,
देश का सत्कार देखा था।

जिए औरों के लिए पहले ना,
 हमने ऐसा अवतार देखा था।

पावन रामेश्वर की,
धरती हो गई।
 पढ़ाया पाठ मेहनत का,
कामयाबी पसीने की पर्ती हो गई।

निष्पाप, निस्वार्थ उन्होंने ,
      संसार देखा था।।
     अब्दुल कलाम ने,
देश का सत्कार देखा था।



परिश्रम से होते हैं सपने साकार।
दिया समझ को इक नया आकार।
सिखा गए हमें करना ,
मानवता से प्यार।

कठिनाई से उनके गले में,
  जीत का हार देखा था।।।
अब्दुल कलाम ने ,
देश का सत्कार देखा था।



ऊंचा किया शीश हिंदुस्तान का।
झुकाकर अहम पूरा पाकिस्तान का ।
जो जिए देश के लिए।
उनमें ऐसा किरदार देखा था।।।।।



मौलिक
रेहाना परवीन
प्रधानाध्यापिका
प्राथमिक विद्यालय किसरोल मुरादाबाद यूपी

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