जब गम के चारों ओर बादल घिर
जाएं
भरी महफ़िल में खुद को तन्हा पाओ
जब हो बारिश और आँखों में तुम्हारी हो आँसू
लोग उन आँसूओं को बारिश की
चंद बूंदे समझे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
जब सांझ की बेला
उदासी की कोई कहानी बने
जब लम्हा लम्हा चुभे तुम्हें
जब एकाकी सी हो सुबह तुम्हारी
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
जब चित्त में हो शोर घना
आवाज़ किसी को न सुनाई दे
होठों पर हो हँसी तुम्हारे
दिल की हालत न किसी को दिखाई दे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
जब हार जाओ अपने ह्रदय से
हर साँस के साथ धड़कनों का चीत्कार सुनाई दे
जब चाँद भी उपहास करे
निज गीत तुम्हारे तुम्हें छलें
तब तुम मेरे पास आना प्रिये।।
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