कवयित्री प्रीति शर्मा "असीम" जी द्वारा रचना (विषय- बेटियाँ)

शीर्षक - बेटियाँ 

जीवन में झंकार ,
बनती है बेटियाँ ।
एक लय -एक ताल 
बनती है बेटियाँ

 जिंदगी चाहे जैसे भी चलती रहे जिंदगी की एक ,
रफ्तार बनती है बेटियाँ ।

जीवन में सात -सुरों का ,
राग बनती है बेटियाँ ।
 जिंदगी का आगाज ,
बनती है बेटियाँ।।

 रस्मों -रिवाजों से ,
कितना भी हम डरते रहे
 एक त्यौहार बनती है बेटियाँ ।

जीवन का श्रृंगार,
 बनती है बेटियां ।
हम कितना भी पराया करते रहे।

 बिना कहे इस बात को समझने वाली एक एहसास,
बनती है बेटियां 
हमारा अपना -आप ,
बनती है बेटियां ।।

स्वरचित रचना
 प्रीति शर्मा "असीम"
 नालागढ़ हिमाचल प्रदेश

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ