शीर्षक - बेटियाँ
जीवन में झंकार ,
बनती है बेटियाँ ।
एक लय -एक ताल
बनती है बेटियाँ
जिंदगी चाहे जैसे भी चलती रहे जिंदगी की एक ,
रफ्तार बनती है बेटियाँ ।
जीवन में सात -सुरों का ,
राग बनती है बेटियाँ ।
जिंदगी का आगाज ,
बनती है बेटियाँ।।
रस्मों -रिवाजों से ,
कितना भी हम डरते रहे
एक त्यौहार बनती है बेटियाँ ।
जीवन का श्रृंगार,
बनती है बेटियां ।
हम कितना भी पराया करते रहे।
बिना कहे इस बात को समझने वाली एक एहसास,
बनती है बेटियां
हमारा अपना -आप ,
बनती है बेटियां ।।
स्वरचित रचना
प्रीति शर्मा "असीम"
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