मंच को नमन
एक मुक्तक
घाव रिस रहे थे मरहम नहीं था
बाकी सब ठीक था
बातें थी वादे थे पालन नहीं था
बाकी सब ठीक था
मैं स्वतंत्र कमरे में बंद था
बाकी सब ठीक था
पथ ,पथिक था विश्वास नहीं था
बाकी सब ठीक था
मौलिक मुक्तक
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