नमन बदलाव मंच
ये रिश्ते ,जैसे कोई पतंग है ।
भावनाओं से जुड़ी तरंग है ।
ये रिश्ते ,जैसे कोई पतंग है ।
जैसे उड़ती पतंग ,कहीं उलझ जाती है ।
स्वभाविक गलतफ़हमी से रिश्ते झुलज जाते हैं ।
फ़िर आसमान की कुछ पंतगें, कट जाती है।
जैसे दुनिया में मोहब्बते ,नफ़रतो में बँट जाती है
पर कुछ मजबूत और जिद्दी मान्झे ,
रिश्तों को तुम्हारी तरफ खींच लाते हैं ।
जैसे पतंगवार पैच लगाकर कोई,
उन्हें अपनी पतंगॊ के बीच लाते हैं ।
स्वभावों की चरखी से, उसे अपनाने को
कुछ रिश्ते पतंग से बटोर लाते हैं।
ये जज्बाती रिश्ते जीवन में घर कर जाते हैं।
जैसे पतंगॊं के झुंड आसमा में रंग भर जाते हैं ।
गरिमा विनित भाटिया
अमरावती
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