कवि अरविंद अकेला जी द्वारा रचना “नौटंकी करते हुए '"

व्यंग्य कविता 

     नौटंकी करते हुए 
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जब जब चुनाव में देखा तुमको,
गजब की नौटंकी करते हुए 
कभी देखा तुम्हें हाथ जोड़ते,
कभी देखा तुम्हें पाँव पड़ते हुए।

मान लिया हम सबने  तुझको,
बहुत हीं उत्तम कलाकार हो,
तुममे है बहुरुपिया का गुण भी,
तभी तो रखते जनसरोकार हो।

प्रजातंत्र की तुम सर्वोत्तम देन हो,
करती है ये जनता तेरा इंतजार,
जनता से करते कितने प्यार हो,
जानता है यह सारा संसार।

जब जीत जाते भूल जाते हो,
दूर से हीं तुम प्यार जताते हो,
गजब है तेरी माया नेता जी,
और गजब का है तेरा प्यार।
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        अरविन्द अकेला

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