कवि प्रकाश कुमार मधुबनी जी द्वारा 'भारत का स्वाभिमान' विषय पर रचना

भारत का स्वाभिमान

भारत का वही स्वाभिमान जगाओ।
आओ मिल के हिंदुस्तान जगाओ।।
समय नही अब बिल्कुल सोने को।
आओ तो हर एक इंसान जगाओ।।

ख्वाबों से भी कुछ ऊपर उठकर।
दुनिया के भीड़ से थोड़ा हटकर।।
गली मोहल्ले में वेद पुराण सिखाओ।
आओ फिरसे हिंदुस्तान जगाओ।।

क्या काम भगीरथ ने कर दिखाया।
क्या काम वीर सावरकर ने कर दिखाया।।
कैसे दिया सर्व बलिदान भगतसिंह ने।
सुभाष चन्द्र ने कैसे हिन्द फौज बानाया।

 सबके बारे में अपने बच्चों को बताओ।
हर बच्चा अनमोल धरोहर है इस धरा की।
आओ ना हर तुलसी को एहसास कराओ।
आओ ना मिलकर हिंदुस्तान बनाओ।।

आखिर कैसे बाबर ने हिन्दू को लूटा।
कैसे भारत का आत्म सम्मान है टूटा।।
आओ मिलकर फिरसे एहसास कराओ।
आओ ना मिलकर हिंदुस्तान जगाओ।।

कैसे हर गाँव से आनन्द पर चोट किया।
कैसे विदेशीयो ने संस्कृति पे काबू किया।।
कैसे अपने देश में हिन्दी को है रोना पड़ा।
 हर गलतियों पर खुलकर एहसास कराओ।।

आखिर अपना गाँव हो या हो कोई शहर।
कैसे सनातन धर्म पर ढाया जा रहा कहर।
आओ अब हिंदुस्तान की आत्मा जगाओ।
आओ पुराने पड़त को मिलकर हटाओ।।

नेताओं ने तो बन के मदारी हमें है नचाया। 
जनता का डंडा जनता के कमर पर चलाया।।
 मिल ऐसे दमनकारी का नींद हराम कराओ।।
आओ ना मिलकर अपना भारत जगाओ।।

ना करने की सोचे हिन्दूओ धर्म का परिवर्तन।
अब ना कोई शंखनाद में डाले भुलसे अर्चन।।
आओ ना मिलकर उनका पुरूषत्व जगाओ।।
आओ ना मिलकर वही हिंदुस्तान जगाओ।।

प्रकाश की मानो,बच्चों को हिंदुत्व पढ़ाओ।
भारत को फिरसे पुराने संस्कृति जगाओ।
कैसे मिला देश को आजादी संज्ञान में लाओ।
आओ मिलकर हर बच्चा में कृष्ण राम जगाओ।।

प्रकाश कुमार मधुबनी"चंदन"
कवि/लेखक/गीतकार

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ