चंन्द्र प्रकाश गुप्त "चंन्द्र" जी द्वारा शक्ति स्वरूपा माँ जगदम्बा बेहतरीन रचना#

शीर्षक - शक्ति स्वरूपा मांँ जगदम्बा 

शक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

भारत में चहुं ओर फैल रही मायावी माया

मांँ जगदम्बे कहीं नहीं दिख रही आपकी छाया

नौ नव रूपों की कर साधना हमने तुम्हें बहुत मनाया

अगणित रूप तुम्हारे मांँ अब आ जाओ धर कर इच्छित काया

यहां बात बात में राजनीति हो रही , मीडिया का बृहन्नला नृत्य हो रहा

लेखक कवियों की क़लम चल रही पर नहीं कोई न्याय हो रहा

नारी का सम्मान नहीं, निर्बल निर्धन असहाय हो रहा

जन मन में आक्रोश बढ रहा, सरकार प्रशासन लाचार हो रहा

मां तुम सर्वव्यापी सर्वज्ञ हो क्यों फिर यह सब हो रहा

जग कैसे माने सर्व शक्तिमान तुम्हें, समक्ष तुम्हारे अन्याय हो रहा

तुम कब दुर्गा का अवतार धरोगी घर घर अब महिषासुर सो रहा

नित रक्तबीजों के स्वरूप बढ़ रहे इंद्रासन फिर डोल रहा

सब देवों से विनय करूं फिर शक्ति स्वरूपा प्रकट करो

मातृशक्ति में मांँ जग जननी की शस्त्र शक्ति प्रकट करो

जग भारत के शास्त्रों  को माने न कल्पना कोरी , सत्य सनातन प्रकट करो

मांँ अब देर न कर ,भारत की प्रचंड शक्ति असीमित जग में प्रकट करो

भारत में चहुं ओर फैल रही मायावी माया

मांँ जगदम्बे कहीं नहीं दिख रही आपकी छाया

  जय शक्ति स्वरूपा मांँ जगदम्बा 


        चंन्द्र प्रकाश गुप्त "चंन्द्र"
           अहमदाबाद , गुजरात 

***********************मैं चंन्द्र प्रकाश गुप्त चंन्द्र अहमदाबाद गुजरात घोषणा करता हूंँ कि उपरोक्त रचना मेरी स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित है।
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