शशिलता पाण्डेय जी द्वारा#महागौरी#

माँ दुर्गा का आठवां रूप:-

महागौरी
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जय माँ महागौरी बृषभ वाहिनी,
कृपा बरसा दे मईया आई दुर्गाष्टमी।
अपर्णा नेकवर्णा देवमाता परमेश्वरी,
धन-संपदा भर दे माँ धनलक्ष्मी।
दीन-दुखियों के कल्मष हारिणी,
करकमलों में अक्षयमाला शोभित।
दक्ष कन्या ब्रह्मणी वर मुद्राधारी,
श्वेत वस्त्र धारिणी रोग शोक विनाशकारिणी।
हाथ मे डमरू शोभे मईया पहाड़ो वाली,
ऊँचे पर्वत विहारिणी चार भुजाधारी।
कौमारी कन्या को देती बर सौभाग्यशाली,
वैष्णवी,हिमसुता मुद्रा मनोहारिणी।
बाँझन को पुत्र देती नारी को शक्ति देती,
दयानिधान माँ त्रिशूलधारिणी श्वेताम्बरी।
अंधे को आंख देती निर्धन को अन्न-धंन्न भरती,
अन-धन मनवांछित फल प्रदाता।
तेरी महिमा से माँ सबकुछ मिल जाता,
मेरी भी विपदा हर ले भवानी ब्रह्माणी।
 तू लगती अतिमनहारिणी जय -जय महागौरी, 
बिद्या बुध्दिदायनी मैया डमरू धारणी।
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**स्वरचित और मौलिक
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 सर्वधिकार सुरक्षित
कवयित्री:-शशिलता पाण्डेय
बलिया (उत्तर पदेश)

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