कवयित्री आरती तिवारी सनत जी द्वारा 'नारी' विषय पर रचना

"नारी" आधी  आबादी की  आवाज  हूँ 
 मैं "



मंच नमन सप्ताहिक प्रतियोगिता
19 अक्टूबर 2020 बदलाव मंच

विषय-- नारी 
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नारियों  पर  सदियों  से  होता  दोयम व्यवहार 
पर नदी  की  रवानी  सी  वह  चलती  अपने  मन  के द्वार........!
नारी  शक्ति कभी  कमजोर  नहीं थी.... 
सदियों  से  लेकर  आज  तक  वह  अपना  परचम  लहराती है......! 
हर  परस्थिति में सहज  ढल वो जाती है 
नारी  तेरे  रूप  अनेक अपार तेरी  शक्ति है... 
माँ  बनकर बच्चों का पालन -पोषण करती, 
संस्कार सभी वो भर  देती है....  ...!
बेटी  बनकर माता - पिता  का  हर  दुख -दर्द वो  बाँटती है......
धैर्य सदा सिखलाती वह  जीवन का  पाठ  पढ़ाती  है
बहन  बनकर करती भाई  के  सुख की  मंगलकामना 
सदा  सुखी  हो  वीरा  मेरा 
रहे सलामत  मायके  का  गहना.....! 
पत्नी बनकर पति  के  साथ -साथ जीवन  पथ  पर वो  चलती है.....
अपने प्रेम, त्याग गुणों  से 
मकान  को  घर  बनाती ..
अपने  सतरंगी  सपनों  को बंद कर आँखों  में  ...
सबकी ख्वाइश की पूरी  करने, सबके  चेहरे पर मुस्कान की  खातिर मूक वह बन  जाती है.... 
सुख -शांति  रहे सदा,
लब भी  वो  सिल  लेती ..
पल -पल करती वह आत्मसमर्पण सब कुछ 
चुपचाप सह  लेती ......
कभी  शिकायत नहीं  किसी से.....  
घर  से बाहर तक सब कुछ  समेट,सहेज कर रखती है 
नारी  की शक्ति कभी  ना  कम थी.....! 
हर क्षेत्र में नारी  आगे है, 
घर  के  चूल्हे -चौके से ऑसमाँ  में  वायु उड़ान  तक......
अंतरिक्ष में भी पहुँच  रही अब  नारी है.....! 
सभी ने राहें रोकी उसकी 
युग चाहे  कोई भी हो 
पर उसकी  ढृढ़ शक्ति के आगे नतमस्तक सभी हो जाते हैं....  !
एक दिन महिला  सशक्तिकरण  का  दिवस  तुम मनाते हो... 
आधी  आबादी की आवाज हूँ मैं....!!
हर दिन महिला  सशक्तिकरण दिवस मनाती  हूँ.....!
मैं  ही गीता, रामायण के छंदों,श्लोकों में.....
बाइबिल की प्रार्थनाओं में..
गुरू -ग्रंथ साहिब की  
गुरू वाणी में.... 
क्या जानों  तुम  मेरी  शक्ति को ......
आधी आबादी की आवाज हूँ.....  !!
 मेरी  शक्ति कभी ना  कम थी...!
मुझसे ही  पुरूषों  का  जनम हुआ.. ...!
जीवन का सार हूँ....!
सृष्टि का सृजन मुझसे ही  संभव .....
जीवन  का आधार  हूँ ....
मैं  नारी  हूँ ...
मैं  नारी  हूँ.....!!! 


आरती  तिवारी  सनत  ‌

मेरी  स्वरचित  रचना©® दिल्ली
१९/१०/२०२०

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