कवयित्री एकता कुमारी जी द्वारा रचना “ए. पी. जे अब्दुल कलाम""

*"बदलाव अंतरराष्ट्रीय नमन मंच"

*शीर्षक -*"ए. पी. जे अब्दुल कलाम"

 आपसे बढ़ा राष्ट्र का गौरव !
आप रहे इतिहास के बैभव!
हे भारत के राष्ट्र रत्न अब्दुल कलाम।
रहूं नतमस्तक,आपको बारंबार प्रणाम।

महादेव का है जहां पर पावन तीर्थ स्थान,
वही रामेश्वरम में आपका है जन्म स्थान।

ईमानदारी और कर्मठता के आप थे प्रतिरूप,
भारत की रक्षा तंत्र का बना आपसे स्वरूप।

माता-पिता,बड़े-बूढ़ों का किया आपने सदा सम्मान, 
बच्चों से स्नेह जताकर बन गए उनके आप भगवान। 

जात - पात को नहीं समझी कभी दीवार,
निश्चल राष्ट्रप्रेम ही था जीवन का पतवार।

अपनी मेहनत के बल पर किया राष्ट्रपति पद तक सफर, 
गौरवांवित हो उठा था उस क्षण समूचा देश हर गाँव-शहर। 

परमाणु परीक्षण कर ,आप मिसाइल मैन कहलाए, 
बच्चों के सपनों के भी आप सुपर मैन कहलाए। 

आज़ भी आपकी यादें बसी हिन्दुस्तान के उपवन में, 
आपकी स्वच्छ, सादगी वाली छवि समाहित है मन में। 

प्रेरणा पाकर युवा पीढ़ी भूल जाता अपना ग़म, 
आपको खोकर भारत माँ की हो जाती आंखें नम। 

हे राष्ट्र पुत्र,हे राष्ट्र रत्न क्या लिखूँ आपके सम्मान में,
जितना भी लिखूं,कम पड़ जाते हैं शब्दों के अभियान में। 

हे!भारत - गौरव अब्दुल कलाम,
आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
अमिट छाप छोड़ी ,देश करे अभिमान।
युगों-युगों तक याद करेगा हिन्दुस्तान।
        ** एकता कुमारी **

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