कवयित्री डॉ.अलका पाण्डेय जी द्वारा 'बड़े बुजुर्ग हमारे घर की शान' विषय पर रचना

बड़े बुजुर्ग हमारे घर की शान
८/१०/३०२०
स्वर्ग - अलका  पाण्डेय 

घर में बडे बुज़ुर्गों का होना घर की शान है ! 
बड़े बुजुर्ग ही घर को स्वर्ग बनाते है !!

बच्चों में संस्कार पनपते 
बड़ों का आदर सत्कार आता है 

पति पत्नि के झगड़ें मिटते 
पल पल पर प्यार पनपता है 

घर में बुज़ुर्गों का रहना घर की शान है 
बड़े बुजुर्गों का होना घर का मान है !!
घर  स्वर्ग बन जाता है 
खुशहाली घर में रहती है !!


भाई -बहनों की कटुता मिटती 
त्याग व सहनशीलता गहना बन जाता है !

भाई -भाई की रंजीशे घटती 
समर्पण , सहन शक्ती से याराना बढ़ता  है !

घर में बुज़ुर्गों का रहना ,
घर को स्वर्ग बनाता है !

अनुशासन मित्रता और रिश्तेदारी यहाँ पोषण पाते है 

घर के लोगों में हौसला व विश्वास पनपता है ! 

घर में बडे बुज़ुर्गों का रहना 
घर को सम्मान दिलाता है !!

हर आने वाली सुबह का 
खुबसुरत दीदार होता  है !

जीवन के हर संकट से उभरने 
का साहस यही से मिलता है 

घर में बडें बुज़ुर्गों का रहना 
घर में धर्म व स्स्कारो का निवास होता है !!
शीतलता का अनुभव कराता 
अनुशासन व सभ्यता सिखाता है

जीवन के  खट्टे मिठे अनुभवो से 
सबका जीवन सरल बनाता  है !

घर में बुज़ुर्गों का रहना 
घर को मर्यादित बनाता है !!

नन्हें मुन्ने छोटे बड़ें सारे बच्चे
दादा दादी के नयनों के तारे 

दादा दादी सुनाते है राम और श्याम की कथायें ,परियों की कहानीयां ,जीवन अनमोल बनाते है !

घर में बडे बुज़ुर्गों का रहना 
घर को इंसानियत की पाठशाला  बनाता है !!
घर में बडे बुज़ुर्गों का होना घर की शान है ! 
बड़े बुजुर्ग ही घर को स्वर्ग बनाते है !!
डॉ अलका पाण्डेय -

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