तेरा गीत गाता रहूँ #अरविन्द अकेला जी द्वारा#

गीत
तेरा गीत गाता रहूँ 
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तुम गीत बनकर मेरी श्वासों में,
गर महका करो,
मैं प्यार बनकर,
तेरा गीत गुनगुनाता रहूँ।

खुश्बू बनकर मेरे दिल में,
गर बिखरा करो,
मैं अहसास बनकर,
तेरे दिल में समाता रहूँ।

तुम मेरी धड़कनों में,
थोड़ा बस जाया करो,
मैं भँवरा बनकर तेरा,
पराग चुराता रहूँ।

तुम मेरी खुली आँखों में,
ख्वाब बनकर आया करो,
मैं हकीकत में यह जीवन, 
तुझपर लुटाता रहूँ।

तुम बहार बनकर,
मेरे जीवन में आया करो,
मैं तेरे दर्पण में, 
खुद को सँवारता रहूँ।

तुम चाँदनीबनकर,
अपनी किरणें बिखेरा करो,
मैं चकोर बनकर, 
हरपल तुझे निहारता रहूँ।
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         अरविन्द अकेला

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