कवि सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता" जी द्वारा 'तेरे साथ चलूंगा' विषय पर रचना

तेरे साथ चलूँगा.... 

मुझे साथ रखना मैं तेरे साथ चलूँगा
मत हाथ मलना मैं तेरे  साथ चलूँगा

बस मुझे अपने वादों की दरकार है
मत बात टलना मैं  तेरे साथ चलूँगा

जानता हूँ तुम जरूरत नहीं समझते
मेरी तरह जलना मैं तेरे साथ चलूँगा

क्यों मुश्किल है मेरा  साथ निभाना
टीस मत सलना मैं तेरे साथ चलूँगा (हल्का दर्द)

जाने क्यों दूरी आ गयी है दरमियान
रहा मुझे खलना' मैं तेरे साथ चलूँगा (कसक)

जैसे भी हो मुझे तुम बहुत पसंद हो
शुरू ख़्वाब पलना मैं तेरे साथ चलूँगा

ना एहसास दलना मैं तेरे साथ चलूँगा
"उड़ता"मत रलना' मैं तेरे साथ चलूँगा (खो जाना)


स्वरचित मौलिक रचना 

द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता"
झज्जर - 124103 (हरियाणा )

udtasonu2002@gmail.com

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