बदलाव मंच
साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु
नारी शक्ति
विधा -कविता
शीर्षक -नारी
क्या कह और कैसे लिख परिभाषित करे?
फिर भी एक कोशिश तो करें......…
अनुरक्ति है विरक्ति है ,हाँ नारी तो एक शक्ति है ,
प्रेम का कोष है ,ईश्वर का पारितोष है ,
हाँ नारी तो भक्ति है।
मां दुर्गा के रूपों की नारी सच में प्रतिमूर्ति है,
चिरकाल से यह सृष्टि भी उसे पूजती है।
वात्सल्य से भरी हुई कभी क्रोध में तनी हुई ,
कभी अपनों के हित खून के आँसू पीती हुई।
कभी छाँव सी यह लगती तो कभी धूप है,
नारी सभी नवरसों का मिलाजुला रूप है।
अपनों को समझाती कभी कठोर निर्णय भी देती है,
नारी ज्ञान का अतुल्य विस्तृत भंडार है।
अपनो के लिए मुश्किलों को सदा हराती ,
हमको हमारी खुद से ही पहचान कराती,
मेल मिलाप कराती कभी स्वयं को बेगानों के बीच यह संभालती
देवी माँ के एक सौ आठ नामों कोआज भी सार्थक सिद्ध कराती
नारी इस सृष्टि का आधार स्तंभ है
कविता पंत
अहमदाबाद
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