जय माँ कालरात्रि
लौटाने के बारी
लिया बहुत है मैंने माता
देने की है बारी आई
आंँचल भर दो मेरी माता
लौटाने की बारी आई ।।
कर्ज़ को क्या लौटा सकूंँगी?
कुछ तो उतार पाऊंँ मैं।
हे मांँ, मुझको इतना भर दो
सारा कुछ लौटाऊंँ मैं ।।
भरी- पुरी हो तुम मेरी मांँ
आते हैं इसलिए तेरे द्वार।
खाली झोलीवाले बैठे
नहीं मिलता है जग का प्यार।।
दीनहीन से मांँगे कोई
ऐसा नहीं देखा दरबार।
भरे-पुरे वालों के यहांँ
सजतीं कतारों के कतार।।
तूने मेरी मांँ जन्म दिया
अब देने की बारी आई।
आंँचल भर दो हे मेरी मांँ
लौटाने की बारी आई ।।
मीनू मीनल
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