उम्मीदों का दीप# डॉ. राजेश कुमार जैन जी द्वारा खूबसूरत रचना#

सादर समीक्षार्थ
 विषय    -    उम्मीदों का दीप

 उम्मीदों का, दीप जलाए 
हम खड़े हैं, आँखें बिछाए 
प्रभु तुम अब तो, आ जाओ
 मनोरथ पूर्ण, कर जाओ..।।

 चहुँ ओर फैल रहा, अंधकार
 मन में भर दो, प्रभु प्रकाश
 केवल तुम्हारी, भक्ति से ही
 मन में जगती है, कुछ आस..।।

  मेरी तुम सब, बाधा हरो
 ज्ञान मार्ग भी, प्रशस्त करो
 उम्मीदों का हूँ, दीप जलाए
आँखें थक गई, आस लगाए..।।

 मैया मेरी आशा, पूर्ण करो
 तुम दुर्गा रूप धर, आ जाओ
 उम्मीदों का, दीप जलाए
 बैठा हूँ द्वार, आँख बिछाए..।।


 डॉ. राजेश कुमार जैन
 श्रीनगर गढ़वाल
 उत्तराखंड

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