मांँ आदिशक्ति
हे अन्नपूर्णा हे आदिशक्ति महारानी।
तू अविचल अविनाशी खुशी की खानी
रूपमात तेरा है भावे मेरे घर आ जाओ।
दर्शन देकर मैया अपने गले लगाओ।
तू विधि बधू रमा मां महामाया कल्याणी।
महिमा तेरी अमित है बरनत मुनि जन ज्ञानी।
धूप दीप नैवेद्य आरती हम हैं अर्पण करते।
आशीर्वाद पा तेरा मैया खुशी की झोली भरते।
निज स्वभाव वश जननी अपनी शरण लीजै।
रोग शोक सारे संकट को शीघ्र ही दूर कीजै।
रूप कालिका का भी तो तुम ले ली थी अवतार।
चंड मुंड महिषासुर का सीन सहित की थी संघार।
मूलाधार निवासिनी मैया तू ऐसा वर दे।
सुख सौभाग्य पुत्र , पौत्रादि अमर कर दे।
तेरे चरणों में गीता शीश झुकाते अंबे।
जय जय जय मां तू भवानी हे जगदंबे।
गीता पांडेय
रायबरेली उत्तर प्रदेश
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