कवि नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर जी द्वारा रचना “खतरे में लोकतंत्र का चौथ स्तम्भ"

खतरे में लोकतंत्र का चौथ स्तम्भ

लोकतंत्र की ख़ास खासियत   जन जन तक 
जन जन का संवाद 
अभिव्यक्ति की आजादी
सूचना का अधिकार।।
न्याय पालिका, कार्यपालिका,
विधायिका लोकतंत्र महिमा
महत्व सार।।                      

चौथा संवाद
संचार का माध्यम मीडिया
का संसार।।
गांधी जी के तीन बन्दर आज
प्रासंगिक उल्टा दिखता मीडिया
सच नहीं देखता सच
नहीं दिखाता सच का कर देता
है त्याग।।                             

सच बोलने की हिम्मत
गर दिखलाता बतलाता कोईं
सच सिद्धान्त पर हो जाता
बलिदान।।

मीडिया के रूप अनेको प्रिंट मिडिया इलेक्ट्रानिक मिडिया सोशल मिडिया ना जाने कितने
अवतार।।

पीत पत्रकारिता टी आर पी
वायरल का कारोबार।।

सच को झूठ ,झूठ को सच का
खेल बनगया तमाशा लोकतंत्र
का चौथा अलम्बरदार।।

जन जन में अब अवधारणा
कौन सुनाएगा सच आज 
कोई बिक जाता है कोई बिकने
का करता इंतज़ार।।

ये कुछ सचाई है मगर आज भी
संजीदा संवेदनशील है लोक
तंत्र का चौथा स्तम्भ की धार।।

कितनो ने जान गवाई सच्चाई का
छोड़ा नहीं कभी भी साथ
सच के साथ खड़ा मौलिक
मूल्यों का लोक तंत्र का मजबूत
चौथा स्तम्भ मिडिया संवेदनशील बाज़।।                            

मीडिया लोकतंत्र का अतिमहत्वपूर्ण लोकतंत्र का आधार।।

मीडिया चाहे जो रातो रात
बाना दे किसी को महान
चाहे तो नैतिकता के गांधी
और महात्मा को भी कर दे शर्मशार।।

लोक तंत्र में मीडिया अहम
कलाकार किरदार।।

गर शासन प्रशासन को
रखना है संवेदन शील 
जन जन का हो कल्याण
जन जन को अधिकारों का
हो ज्ञान मीडिया स्वतंत्र निष्पक्ष
निडर निर्भीक लोक तंत्र अभिमान।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

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