कवि भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा रचना “विषय -मानव या हैवान"

मंच को नमन

विषय -मानव या हैवान

हम मानव को मानव या हैवान कहें
जो करते कुकर्म उन्हें कायर या बलवान कहें
पशु मनुष्य से अच्छा ,अच्छा बुरा समझता
जो विवेक नहीं रखता उसे हम कैसे ज्ञानवान कहे

मानव जीवन मिलता जग में सत कर्मों से
मत इसको बदनाम करो तुम कुकर्मों से
दान नहीं करते जो पाई उन्हें कैसे धनवान कहें
हम मानव को मानव या हैवान कहें

जो लूट लूट कर के अपने घर भरते हैं
जो प्रकाश के सम्मुख आने से डरते हैं
जो छींन के रोटी खाए उन्हें कैसे दयावान कहें
हम मानव को मानव या हैवान कहें

दया नहीं है तिल भर जिसके  हृदय में
रिश्ते तार-तार कर देते हैं क्षणिक समय मैं
असत्य अहिंसा को बोलो  हम कैसे महान कहे
हम मानव को मानव या हैवान कहीं
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
             भास्कर सिंह माणिक, कोंच

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