कवयित्री रोशनी दीक्षित जी द्वारा 'ज़िंदगी विषय' पर मुक्तक


ये ज़िन्दगी भी क्या कमाल करती है। 
जुर्म का पता नहीं, पर सजा सी कटती है। 
जाने किस मंजिल की तलाश  है यहाँ सबको, 
जबकि जिंदगी की मंजिल तो मौत ही मिलती है। 
 *रोशनी दीक्षित बिलासपुर छत्तीसगढ़.... 

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